संतरे की उत्पादन तकनीक (Production Technology of Mandarin Fruit )
प्रस्तावना (Introduction) भा रत में केले के पश्चात नींबू प्रजाति के फलो का तीसरा स्थान है इसमें सर्दी तथा गर्मी सहन करने की क्षमता होने के कारण नींबू प्रजाति का कोई ना कोई फल लगभग सभी प्रांतों में उगाया जाता है। इन नींबू वर्गीय फलो में संतरा भी एक महत्वपूर्ण फल जिसको मुख्त रूप से खाने व रस प्राप्ति के उदेश्य से उगाया जाता है। संतरे को वानस्पतिक रूप से सिट्रस रिटीकुलेटा के नाम से जाना जाता है। इसका कुल रुटेसी एवं उत्पत्ति स्थल दक्षिणी चीन हैं। भारत में नींबू प्रजाति के फलों में संतरे का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है इसे मेंडेरीन भी कहते हैं। इसका छिलका फाँको से चिपका रहता है। अतः आसानी से चिला जा सकता है। संतरा अपनी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके साथ-साथ इसमें विटामिन ए और बी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। इसका पानक बहुत लोकप्रिय हैं। देश के अंदर संतरे का कुल क्षेत्रफल 4.28 लाख हेक्टेयर है जिससे 51.01 लाख टन उत्पादन होता हैं। संतरे की औसतन उत्पादकता 14.84 टन/हेक्टेयर हैं। राजस्थान राज्य में नागपुर मेंडेरिन का कुल क्षेत...